
कैलिफोर्निया. वीडियो शेयरिंग एप टिक-टॉक पर अमेरिका में फौजदारी का मुकदमा दर्ज हुआ है। इस चीनी एप पर आरोप है कि यह बड़ी मात्रा में यूजर का डेटा चोरी-चोरी चीन को भेज रहा है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि टिक-टॉक, यूजर की अनुमति के बिना उनका कंटेंट और डेटा ले रहा है। बीजिंग स्थित कंपनी बाइट-डांस के मालिकाने वाले एप टिक-टॉक ने अमेरिका में भी युवाओं के बीच बड़ा फैन बेस तैयार कर लिया है। भारत में भी इस एप के लगभग 20 करोड़ यूजर हैं। पूरी दुनिया में टिक-टॉक के 50 करोड़ एक्टिव यूजर हैं। इस एप पर आप 15 सेकंड तक का वीडियो शेयर कर सकते हैं जिसे आप गाने, म्यूजिक, कॉमेडी या फिल्मी डायलॉग के साथ मिक्स कर अपने हिसाब से एडिट कर सकते हैं।
हालांकि इस एप को नॉर्थ अमेरिका में डेटा संग्रह और सेंशरशिप चिंताओं को लेकर चौतरफा दबाव का सामना करना पड़ रहा है। कैलिफोर्निया के कोर्ट में दायर मुकदमे में एप पर आरोप लगाया गया है कि यह गुप्त रुप से निजी और व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य यूजर डेटा चीन को भेज रहा है। इस डेटा से अमेरिका में अभी और भविष्य में भी किसी की पहचान की जा सकेगी और उसे ट्रैक किया जा सकेगा। मुकदमा दायर करने वाली मिस्टी हॉन्ग कैलिफोर्निया स्थित एक यूनिवर्सिटी की छात्रा हैं। हॉन्ग ने दावा किया है कि पिछले साल उसने टिक-टॉक एप डाउनलोड किया था लेकिन उसने अपना अकाउंट नहीं बनाया था। कुछ महीने बाद उसने पाया कि एप ने उसका अकाउंट बना दिया है। साथ ही चुपके से उसके ड्राफ्ट के वीडियो भी ले लिए हैं जो उसने कभी पब्लिश न करने के इरादे से बनाए थे। यह डेटा चीन में दो सर्वर पर भेजा गया जो अलीबाबा और टेंसेंट द्वारा समर्थित है।]
मुकदमे में यह भी आरोप लगाया है कि टीक-टॉक इस डेटा से गुप्त बिजनेस कर भारी मुनाफा कमा रहा है। इसको वह विज्ञापन से कमाई के रुप में दिखाता है। टिक-टॉक ने इन आरोपों को लेकर अभी तक कोई कमेंट नहीं किया है।
भारत में भी डेटा स्टोरेज को लेकर विवाद
भारत में भी टिक-टॉक और हेलो के डेटा स्टोरेज को लेकर काफी विवाद रहा है। डेटा चोरी और डेटा को चीन में स्टोर करने को लेकर भारत सरकार ने टिक-टॉक की प्रमोटर कंपनी बाइट-डांस से जुलाई में 24 सवालों के जबाव मांगे थे। सरकार के दबाव के बाद टिक-टॉक और हेलो भारत में सर्वर लगाने की तैयारी कर रही हैं। ऐसे में भारतीय यूजर्स का डेटा भारत में ही रहेगा। फिलहाल भारतीय यूजर्स का डेटा कंपनी ने अमेरिका और सिंगापुर में रखा है। कंपनी ने कहा है कि 6-18 महीनों में भारत में डेटा स्टोर के लिए सर्वर काम करने लगेगा।
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